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सैयदों के यहाँ शादी और अराई



बुल्लेशाह सैयद थे उनकी बिरादरी में किसी की शादी थी  बुल्लेशाह ने अपने पीर इनायतशाह की सेवा में अर्ज़ की,” हज़रत ! हमारे यहाँ शादी है, दर्शन देने की किरपा करो ” इनायतशाह की सेवा में एक अराई लड़का रहता था उन्होंने उसको अपनी और से शादी में भेज दिया

बिरादरी वालों ने अराई समझ कर उसकी इज्ज़त न की अगर वे उसे इनायतशाह का रूप समझते तो सबकुछ करते कहने लगे कि हम हैं सैयद और यह आरइयों का लड़का ! हम इसको क्या समझते हैं ? जब शादी से फ़रिंग हुए , उस अराई ने अपने पीर इनायतशाह को सारा हाल सुनाया  
उन्होंने नाराज़ होकर कहा कि बुल्लेशाह निकम्मे का पानी भी नहीं पीना है इतना कहना ही था कि बुल्लेशाह का तब सारा नाम का  रंग उतर गया खाली का खाली रह गया रोता – रोता इनायतशाह के पास आया  

अर्ज़ की कि मुझे बख्शों मेरे ऊपर किरपा करो , मैं भूल गया! काफी पश्चाताप के बाद फिर उनको पहली हालत बख्श दी  


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