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Kabir Ki AmarBani / कबीर की अमर वाणी

 यह शरीर खेत की तरह है और मन किसान की तरह | इसमें पाप और पूण्य दो बीज हैं | आप इस खेत में जो बीज बोते हैं,उसी की फसल काटते हैं|                        




 चींटी चावल लेकर चली तो रास्ते में दाल का दाना पड़ा मिला| दोनों तो उसे नही मिल सकते - एक को छोड़कर दूसरे को लेना पड़ेगा |

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