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Gupt Navratri 2019: गुप्त नवरात्रि पर्व क्यों और कब, जानिए...




(05 फ़रवरी 2019 से 14 फ़रवरी 2019) 

गुप्त नवरात्री का पावन पर्व, समय बहुत ही नजदीक है. मां शक्ति की आराधना के लिए इस पर्व का अपना ही विशेष महत्व है. गुप्त नवरात्री के बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं होती. हम सभी मानते है, माता के सभी नौ रूपों की आराधना पूर्ण श्रद्धा से करने पर हर मनोकामना पूरी होती है। इन सभी नौ शक्तियों के मिलन को ही नवरात्री कहते हैं। ये भी सत्य है, वर्ष में पहले महीने यानी चैत्र में प्रथम नवरात्रि होती है। चौथे महीने आषाढ़ में दूसरी नवरात्रि होती है। इसके बाद अश्विन मास में तीसरी और प्रमुख नवरात्रि होती है जबकि वर्ष के ग्यारहवें महीने यानी माघ मॉस में चौथी नवरात्री मनाने का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। देवी भागवत के अनुसार जिस प्रकार वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और माता के नौ रूपों (माँ शैलपुत्री, माँ ब्रह्मचारिणी, माँ चंद्रघंटा, माँ कुष्मांडा, माँ स्कंदमाता, माँ कात्यायनी, माँ कालरात्रि, माँ महागौरी, माँ सिद्धिदात्री) की सेवा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की आराधना/साधना की जाती है. इस दौरान माँ शक्ति के साधक बहुत कड़े नियमो का पालन करते हुए, व्रत और साधना आदि करते हैं. इस दौरान लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं. महाकाल संहिता के अनुसार सतयुग में चैत्र नवरात्र, त्रेता युग में आषाढ़ नवरात्र, द्वापर युग में माघ नवरात्र एवं कलयुग में अश्विन नवरात्र की प्रमुखता/प्रधानता रहेगी. ज्यादातर माँ के उपासक पूरे नवरात्र ही उपवास रहकर आराधना करते हैं, लेकिन जो भक्त पूरे नवरात्र देवी की उपासना नहीं कर सकते हैं. वह सप्तमी-अष्टमी को पूरे दिन उपवास कर देवी के भद्रकाली रूप की उपासना कर, नवमी को हवन आदि संम्पन्न कर, दशमी तिथि पर पारण आदि संस्कार करे. इससे पूरे नवरात्र के बराबर उपासना का पुण्य मिलता है। गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं. गुप्त नवरात्र में प्रलय एवं संहार के देव महादेव एवं मां काली की पूजा का विधान है. गुप्त नवरात्रि में साधक गुप्त सिद्धियों को अंजाम देते हैं और चमत्कारी शक्तियों के स्वामी बन जाते हैं. इस गुप्त नवरात्री में साधकों से अपील है कि तंत्र साधना किसी प्रशिक्षित व सधे हुए साधक के मार्गदर्शन अथवा अपने गुरु के निर्देशन में ही करें। यदि साधना सही विधि से न की जाये तो इसके प्रतिकूल प्रभाव भी साधक पर पड़ सकते हैं। गुप्त नवरात्र मां की कृपा और गुप्त सिद्धियां दिलाने वाला होते है. इस पावन समय में किए गए प्रयास असफल नहीं होते हैं उनके पूरे होने की संभावना होती है. माता ही हैं जो इस चराचर जगत में शक्ति का संचार करती हैं. 

इन गुप्त नवरात्र में देवी साधक और भक्त ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' मंत्र जाप करें। मां काली के उपासक ‘ॐ क्रीं कालिकायै नमः' मंत्र का जाप करें। व्यापारी लोग 'ऊं हीं महालक्ष्मये नम:' मंत्र का जाप करें। विद्यार्थी 'ऊं क्लीं महासरस्वतये नम:' मंत्र जपें। 

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त व नियम

1. चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में घटस्थापना नहीं की जाती.
2. द्विस्वभाव लग्न श्रेष्ठ है. 
3. ईशान्य कोण यानी उत्तर-पूर्व में कलश की स्थापना उचित रहती है. 
4. पूर्व-दक्षिण दिशा में अखंड ज्योत का दीपक प्रज्ज्वलित करना हितकर रहता है. 
5. आसन इस तरह से व्यवस्थित हो, जिससे पूजा करते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में ही रहे। 
6. नारियल रखने के लिए शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु में वृद्धि होती है. नारियल का मुख ऊपर की तरफ रखने से रोग बढ़ते हैं, जबकि पूर्व की तरफ नारियल का मुख रखने से धन का विनाश होता है. इसलिए नारियल की स्थापना सदैव इस प्रकार करनी चाहिए कि उसका मुख साधक की तरफ रहें. 

विशेष:- नारियल का मुख उस सिरे पर होता है, जिस तरफ से वह पेड़ की टहनी से जुड़ा होता है। किसी भी नारियल की जटाओं को हटाने पर उसमें तीन छिद्र नजर आते हैं. इन छिद्रों को नारियल की दो आंखें और एक मुंह माना जाता है। 

घटस्थापना मुहूर्त - 09:08 से 10:38 (कुल समय - 1 घंटा 30 मिनट) द्विस्वभाव मीन लग्नप्रतिपदा तिथि प्रारम्भ प्रातः 02.33 (5 फ़रवरी 2019), प्रतिपदा तिथि समाप्त प्रातः 05.15 (06 फ़रवरी 2019) 

राशि अनुसार मंत्र

 मेष :- ॐ ह्रीं उमा देव्यै नम: 

वृष :- ॐ क्रां क्रीं क्रूं कालिका देव्यै नम: 

मिथुन :- ॐ दुं दुर्गायै नम: 

कर्क :- ॐ ललिता देव्यै नम: 

सिंह :- ॐ ऐं महासरस्वती देव्यै नम: 

कन्या :- ॐ शूल धारिणी देव्यै नम: 

तुला :- ॐ ह्रीं उमा महालक्ष्म्यै नम: 

वृश्चिक :- ॐ ह्रीं उमा काम्नख्यै नम: 

धनु :- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे 

मकर एवं कुम्भ :- ॐ पां पार्वती देव्यै नम: 

मीन :- ॐ श्रीं हीं श्रीं दुर्गा देव्यै नम: 



माँ कालिके प्राच्य विद्या परिषद
संस्थापक : अरविन्दर सिंह शास्त्री

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