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रक्षा बंधन पर जानिए पौराणिक काल के 10 भाइयों की प्रसिद्ध बहनें..

भाई-बहन के पवित्र और प्यारे रिश्तों के त्योहार रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाई को राखी बांधती है और भाई बहनों की रक्षा करने का वचन उन्हें देते है जबकि इस मौके पर उन्हें उपहार स्वरूप कोई न भेंट भी जरूर देते है। लेकिन आप नहीं जानते होंगे कि इतिहास में भाई और बहनों के भी कई किस्से प्रचलित हैं। आओ जानते हैं इतिहास प्रसिद्ध10 प्रसिद्ध बहनों के नाम।

भाई-बहन के पवित्र और प्यारे रिश्तों के त्योहार रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाई को राखी बांधती है और भाई बहनों की रक्षा करने का वचन उन्हें देते है जबकि इस मौके पर उन्हें उपहार स्वरूप कोई न भेंट भी जरूर देते है। लेकिन आप नहीं जानते होंगे कि इतिहास में भाई और बहनों के भी कई किस्से प्रचलित हैं। आओ जानते हैं इतिहास प्रसिद्ध10 प्रसिद्ध बहनों के नाम।


1. भगवान शिव की बहन : कहते हैं कि भगवान शिव की बहन असावरी देवी थीं। कहते हैं कि पार्वती अकेली रहती थीं तो उन्होंने एक बार शिव से कहा कि काश मेरी ननद होती तो अच्छा होता। तब शिव ने अपनी माया से अपनी एक बहन की उत्पत्ति की और पार्वती देवी से कहा ये रही आपकी ननद। इसके बाद के किस्से पुराणों में पढ़ें। उल्लेखनीय है कि पार्वती की सौतेली बहन देवी लक्ष्मी थीं जिनका विवाह श्रीहरि विष्णु से हुआ था। इसी तरह भगवान शिव की पुत्री अर्थात कार्तिकेय और गणेश की बहन ज्योति, अशोक सुंदरी और मनसा देवी की ख्‍याति है।


2. भगवान विष्णु की बहन : शाक्त परंपरा में तीन रहस्यों का वर्णन है- प्राधानिक, वैकृतिक और मुक्ति। इस प्रश्न का, इस रहस्य का वर्णन प्राधानिक रहस्य में है। इस रहस्य के अनुसार महालक्ष्मी के द्वारा विष्णु और सरस्वती की उत्पत्ति हुई अर्थात विष्णु और सरस्वती बहन और भाई हैं। इन सरस्वती का विवाह ब्रह्माजी से और ब्रह्माजी की जो दूसरी सरस्वती है, उनका विवाह विष्णुजी से हुआ था ऐसे उल्लेख मिलता है। इसके अलावा दक्षिण भारत की प्रचलित मान्यता के अनुसार मीनाक्षी देवी नामक एक देवी भगवान शिव की पत्नी पार्वती का अवतार और भगवान विष्णु की बहन थीं। मीनाक्षी देवी का मीनाक्षी अम्मन मंदिर दक्षिण भारत में है।


3. बाली की बहन : जब भगवान वामन ने महाराज बली से तीन पग भूमि मांगकर उन्हें पाताललोक का राजा बना दिया तब राजा बली ने भी वर के रूप में भगवान से रात-दिन अपने सामने रहने का वचन भी ले लिया। भगवान को वामनावतार के बाद पुन: लक्ष्मी के पास जाना था लेकिन भगवान ये वचन देकर फंस गए और वे वहीं रसातल में बली की सेवा में रहने लगे। उधर, इस बात से माता लक्ष्मी चिंतित हो गई। ऐसे में नारदजी ने लक्ष्मीजी को एक उपाय बताया। तब लक्ष्मीजी ने राजा बली को राखी बांध अपना भाई बनाया और अपने पति को अपने साथ ले आईं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। तभी से यह रक्षा बंधन का त्योहार प्रचलन में हैं।


4. यमराज की बहन : भाई दूज को यम द्वितीया भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन यमुना ने अपने भाई भगवान यमराज को अपने घर आमंत्रित करके उन्हें तिलक लगाकर अपने हाथ से स्वादिष्ट भोजन कराया था। जिससे यमराज बहुत प्रसन्न हुए थे और उन्होंने यमुना को मृत्यु के भय से मुक्त होकर अखंड सौभाग्यवती बने रहने का वरदान दिया था। कहते हैं कि इस दिन जो भाई-बहन इस रस्म को निभाकर यमुनाजी में स्नान करते हैं, उनको यमराजजी यमलोक की यातना नहीं देते हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना का पूजन किया जाता है।


5. भगवान राम की बहन : श्रीराम की दो बहनें भी थी एक शांता और दूसरी कुकबी। हम यहां आपको शांता के बारे में बताएंगे। दक्षिण भारत की रामायण के अनुसार राम की बहन का नाम शांता था, जो चारों भाइयों से बड़ी थीं। शांता राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं, लेकिन पैदा होने के कुछ वर्षों बाद कुछ कारणों से राजा दशरथ ने शांता को अंगदेश के राजा रोमपद को दे दिया था। भगवान राम की बड़ी बहन का पालन-पोषण राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी ने किया, जो महारानी कौशल्या की बहन अर्थात राम की मौसी थीं। शांता के पति एक महान ऋषि ऋंग थे। राजा दशरथ और इनकी तीनों रानियां इस बात को लेकर चिंतित रहती थीं कि पुत्र नहीं होने पर उत्तराधिकारी कौन होगा। इनकी चिंता दूर करने के लिए ऋषि वशिष्ठ सलाह देते हैं कि आप अपने दामाद ऋंग ऋषि से पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाएं। इससे पुत्र की प्राप्ति होगी। ऋंग ऋषि ने ही पुत्रेष्ठि यज्ञ किया था।


6. भगवान श्रीकृष्ण की बहन : कहा जाता है कि नरकासुर का वध करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने भाई दूज के दिन उनके घर पहुंचे थे। सुभद्रा ने उनका स्वागत करके अपने हाथों से उन्हें भोजन कराकर तिलक लगाया था। सुभद्रा के अलावा श्रीकृष्ण की और भी बहनें थी। पहली एकानंगा(यह यशोदा की पुत्री थीं), दूसरी योगमाया (देवकी के गर्भ से सती ने महामाया के रूप में इनके घर जन्म लिया, जो कंस के पटकने पर हाथ से छूट गई थी। कहते हैं, विन्ध्याचल में इसी देवी का निवास है। कहते हैं कि योगमाया ने श्रीकृष्ण का हर कदम पर साथ दिया था। इसके अलावा द्रौपदी को श्रीकृष्ण अपनी बहन मानते थे।


7. सूर्य देव की बहन : भगवान सूर्य देव की बहन और ब्रह्मा की मानस पुत्री छठ मैया के नाम से प्रसिद्ध है। मां छठी को कात्यायनी नाम से भी जाना जाता है। नवरात्रि की षष्ठी तिथि को इन्हीं की पूजा की जाती है।


8. रावण की बहन : रावण की दो बहनें थी एक का नाम सूर्पनखा और दूसरी थी कुम्भिनी जो की मथुरा के राजा मधु राक्षस की पत्नी थी और राक्षस लवणासुर की मां थी।


9. कंस की बहन : सब दुर्गुणों के बावजूद कंस अपनी छोटी बहन देवकी से अपार स्नेह रखता था और वह उसे सबसे ज्यादा चाहता था। यदि देवकी के विवाह के समय आकाशवाणी ना हुई होती, तो वह कभी अपनी बहन पर मर्मांतक अत्याचार नहीं कर सकता था। देवकी राजा उग्रसेन और रानी पद्मावती की पुत्री थीं।


10. दुर्योधन की बहन : कौरव यानी दुर्योधन ओर उसके 100 भाई, लेकिन कौरवों की 1 बहन भी थी, नाम था दुशाला। दुशाला का विवाह सिंध देश के राजा जयद्रथ के साथ हुआ था। जयद्रथ के पिता वृध्दक्षत्र थे। जयद्रथ ने द्रौपदी का हरण करने का प्रयास किया था जिसके चलते द्रौपदी ने उसका सिर मुंडवा कर उसे अपमानित किया था। इसी जयद्रथ के कारण अभिमन्यु को पांडव चक्रव्यूह से नहीं बचा सके थे। इसी तरह महाभारत में शकुनि की बहन गांधारी और धृष्टदुम्न की बहन द्रौपदी की प्रसिद्धि भी है।


अरविन्दर सिंह ' शास्त्री '
मेरठ (उत्तर प्रदेश)

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