Recent Posts

नफ़्स से जंग — अपने अंदर के दुश्मन को पहचानो | SufiPost




 हर इंसान के अंदर एक आवाज़ होती है — जो कभी कहती है “मैं सही हूँ” और कभी “मुझे सब चाहिए”।

यही आवाज़ है नफ़्स की।

सूफ़ी इल्म कहता है — “सबसे बड़ा दुश्मन बाहर नहीं, तेरे अंदर है।”


नफ़्स यानी वो अहंकार जो इंसान को खुद से, और रब से दूर कर देता है।

हज़रत अली (र.अ.) ने फरमाया:


“जिसने अपने नफ़्स को पहचान लिया, उसने अपने रब को पहचान लिया।”


नफ़्स हमेशा कहता है:


“मैं बड़ा हूँ, मैं सही हूँ, मेरी बात चलेगी।”

और रूह कहती है:

“मैं कुछ नहीं, सब कुछ उसी का है।”


सूफ़ी रास्ता इसी लड़ाई का नाम है — नफ़्स बनाम रूह।

जब इंसान अपने अंदर झाँकना शुरू करता है, तो असली सफर शुरू होता है।

रोज़ अपने नफ़्स से सवाल करो:

🌿 “क्या मैंने आज किसी को दुख दिया?”

🌿 “क्या मेरा दिल साफ़ है?”


हर बार जब तुम अपने ग़ुस्से को रोकते हो,

किसी को माफ़ करते हो,

या सच्चाई के साथ खड़े होते हो —

समझ लो तुमने अपने नफ़्स पर छोटी जीत हासिल की है।


सूफ़ी तालीम यही सिखाती है —


“नफ़्स को मारो नहीं, उसे सिखाओ।”

क्योंकि जब नफ़्स काबू में आता है, तो रूह आज़ाद होती है।





💠 



अगर आप भी अपने अंदर के नफ़्स से जंग जीतना चाहते हैं, तो जुड़े रहिए SufiPost.com के साथ —

जहाँ हर लेख आपकी रूह को उसके असली सफर की याद दिलाएगा।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ